🌹 *नववर्ष विक्रम संवत्सर २०८१*🌹 की स्नेहाशीष एवं मङ्गलमय शुभकामनायें।
*ये भारतीय नववर्ष 9 अप्रैल 2024 मंगलवार से शुभारम्भ हो रहा है!*
इस वर्ष के *राजा मंगल*  हैं। 
और *मन्त्री पद  शनि* को  मिला है।
सम्वत का नाम *काल* है।
इस सम्वत्सर में तीर्थराज प्रयाग में *महाकुम्भ* 14 जनवरी 2025 से 12 फरवरी 2025 तक  महापर्व का सुयोग चलेगा।
🌸🌸  **  नववर्ष *(विक्रम सम्वत 2081)* का शुभारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनाँक *09 अप्रैल 2024 मंगलवार* को है।इसे मनाने की छोटी सी तैयारी 
करनी चाहिए-----🌼🌼 -----
1- नववर्ष की शुभकामना दें।
2-  तिलक माथे पर अवश्य लगायें।
3-वासन्तिक ध्वज भवन पर अवश्य लगायें।
4- उदित होते सूर्य को अर्घ्य दें।
5- नववर्ष की कविताओं और शीतल पेय को बांटें।
6.निम्ब की सुकोमल पत्तियों एवं फूलों का चूर्ण बनाकर उसमें काली मिर्च, सेंधा नमक,हींग,जीरा एवं अजवाइन समान मात्रा में मिला कर खाने से रक्त विकार एवं चर्म रोग से रक्षा होती है।      
7.सूर्यार्घ्य दें और प्रातः काल से ही अपने परिचितों को बधाई देना आरम्भ करें।
💐---- लोग पूछेंगे यह कैसा ? कौन सा नववर्ष है?तो आप बेझिझक कहें--आज के दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि आरम्भ की थी-चैत्रे मासिजगद्ब्रह्मा ससर्ज प्रथमेsहनि।
**- पृथ्वी पर आज के ही दिन मनुष्य उत्पन्न हुआ था।अतः यह हमारा मधुमय नववर्ष है। 1 अरब 95 करोड़ 58 लाख 85 हजार 125 वर्ष बीत गये। तब से सनातनी सृष्टि निरन्तर चल रही है।
🌻🌻 ** *नवरात्रि को अलग रखें* ** 🌻🌻
*- वासन्तिक नवरात्रि मनाईये पर इससे नववर्ष को अलग रखिये।यदि दोनों को मिलाया गया तो नववर्ष कभी भी महो-त्सव नहीं बन पायेगा।
*- नवरात्रि का सदुपयोग नववर्ष मनाने में किया जा सकता है।
*- मन्दिर के पास समूह में जायें और लोगों को बोलें --- नववर्ष मङ्गलमय हो। लोगों को तिलक भी लगा सकते हैं।
*- पूर्व सन्ध्या से नौ दिनों तक नववर्ष को जगाये रखें।
*-नवरात्रि के आठवें दिन अशोक अष्टमी को अशोक वृक्ष की कलियों को खायें और वितरित करें।यदि यह न मिले तो
पारम्परिक ठंढई को पियें व पिलायें।
     महोत्सव वह होता है जिसमें समूह आनंद उठाये।
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*हंसों   का   देश   भारत*
*नववर्ष  का करता स्वागत ।।*
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*नववर्ष   शुभ   मङ्गलमय  हो ।।*
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            !!🙏विशेष प्रार्थना🙏!!
1.*अपने घर पर ध्वज अवश्य लगाएं।*
2.*हिन्दुओं से ही जरुरतमन्द वस्तुओं का क्रय विक्रय करें। और सुरक्षित रहें।*
3.*सनातनी बनें।* 
4. *आहार विहार सात्विक रखें।।*
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