Skip to main content

Welcome to Vedic Astro Point's Blog


Translate


क्यों महत्वपूर्ण है नरक चतुर्दशी और दीपदान



#VedicAstroPointChannel

क्यों महत्वपूर्ण है नरक चतुर्दशी और दीपदान 
=========================

कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को 'नरक-चतुर्दशी', 'छोटी दीपावली', 'रूप-चतुर्दशी', 'यमराज निमित्य दीपदान' के रूप में मनाया जाता है |
आज के दिन को नरकासुर से विमुक्ति के दिन के रूप में भी मनाया जाता है | आज के ही दिन भगवन श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था | नरकासुर ने देवताओं की माता अदिति के आभूषण छीन लिए थे | वरुण को छत्र से वंचित कर दिया था | मंदराचल के मणिपर्वत शिखर को कब्ज़ा लिया था | देवताओं, सिद्ध पुरुषों और राजाओं को 16100 कन्याओं का अपहरण करके उन्हें बंदी बना लिया था |कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को भगवन श्रीकृष्ण ने उसका वध करके उन कन्याओं को बंदी गृह से छुड़ाया, उसके बाद स्वयं भगवन ने उन्हें सामाजिक मान्यता दिलाने के लिए सभी अपनी पत्नी स्वरुप वरण किया | इस प्रकार सभी को नरकासुर के आतंक से मुक्ति दिलाई, इस महत्वपूर्ण घटना के रूप में नरक चतुर्दशी के रूप में छोटी दीपावली मनाई जाती है |
रूप चतुर्दशी (उबटन लगाना और अपामार्ग का प्रोक्षण )

आज के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने से मनुष्य नरक के भय से मुक्त हो जाता है | पद्मपुराण में लिखा है जो मनुष्य सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है, वह यमलोक नहीं जाता है अर्थात नरक का भागी नहीं होता है | भविष्य पुराण के अनुसार जो कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को जो व्यक्ति सूर्योदय के बाद स्नान करता है, उसके पिछले एक वर्ष के समस्त पुण्य कार्य समाप्त हो जाते हैं | 

नरक चतुर्दशी को सूर्यास्त के पश्चात अपने घर व व्यावसायिक स्थल पर तेल के दीपक जलाने चाहिए | तेल की दीपमाला जलाने से लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है ऐसा स्वयं भगवान विष्णु ने राजा बलि से कहा था | भगवान विष्णु ने राजा बलि को धन-त्रियोदशी से दीपावली तक तिन दिनों में दीप जलाने वाले घर में लक्ष्मी के स्थायी निवास का वरदान दिया था |
जब भगवान वामन ने त्रियोदशी से अमावस्या की अवधि के बीच दैत्यराज बलि के राज्य को तीन कदम में नाप दिया | राजा बलि जो की परम दानी थे उन्होंने अपना पूरा राज्य भगवान विष्णु अवतार भगवान वामन को दान कर दिया इस पर भगवान वामन ने प्रसन्न हो कर बलि से वर मांगने को कहा | बलि ने भगवान से कहा कि, 'हे प्रभु ! मैंने जो कुछ आपको दिया है, उसे तो मैं मांगूंगा नहीं और न ही अपने लिए कुछ और मांगूंगा, लेकिन संसार के लोगों के कल्याण के लिए मैं एक वर मांग ता हूँ ! आपकी शक्ति है, तो दे दीजिये

भगवान वामन ने कहा, " क्या वर मांगन चाहते हो ! राजन ?"
दैत्यराज बलि बोले : " प्रभु ! आपने कार्तिक कृष्ण त्रियोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में मेरी संपूर्ण पृथ्वी नाप ली | इन तीन दिनों में प्रतिवर्ष मेरा राज्य रहना चाहिए और इन तीन दिन की अवधि में जो व्यक्ति मेरे राज्य में दीपावली मनाये उसके घर में लक्ष्मी का स्थायी निवास हो तथा जो व्यक्ति चतुर्दशी के दिन नरक के लिए दीपों का दान करेंगे उनके सभी पित्र लोग कभी नरक में ना रहे उसे यम यातना नहीं होनी चाहिए |"
राजा बलि की प्रार्थना सुन कर भगवान वामन बोले : " राजन ! मेरा वरदान है की जो चतुर्दशी के दिन नरक के स्वामी यमराज को दीपदान करेंगे उनके सभी पित्र लोग कभी भी नरक में नहीं रहेंगे और जो व्यक्ति इन तीन दिनों में दीपावली का उत्सव मनाएंगे उन्हें छोड़ कर मेरी प्रिय लक्ष्मी कहीं भी नहीं जायेंगी | जो इन तीन दिनों में बलि के राज में दीपावली नहीं करेंगे उनके घर में दीपक कैसे जलेंगे ? तीन दिन बलि के राज में जो मनुष्य उत्साह नहीं करते, उनके घर में सदा शोक रहे |"

भगवान वामन द्वारा बलि को दिये इस वरदान के बाद से ही नरक चतुदाशी के व्रत, पूजन और दीपदान का प्रचलन आरम्भ हुआ, जो आज तक चला आ रहा है |

Comments


Total Pageviews